Saturday, November 22, 2008

'तू ' - मेरी एकमात्र कविता

दिल ये चाहता है,

सुना तुझे अपना हाल दूँ,
सदा के लिये मेरी बन जा
आ; तुझे कविता में ढाल दूँ |

ज़ुल्फ की काली घटाओं में छुपा,
प्यारा चांद सा गाल दूँ,
जिसकी न कोई हो मिसाल,
एैसी तेरी मिसाल दूँ |

रेशमी हों , या नागिन कि तरह ?
कैसे तेरे बाल दूँ ?
या दिल जिसमें उलझा मेरा
उसे कह एैसा जाल दूँ ?

बस चले गर मेरा, तो दुनिया भर का
शबाब तुझमें डाल दूँ ;
नज़रों पर जो थोड़ी इनायत हो जाये,
मौत को भी मैं टाल दूँ ||

मेरे सिवा न कोई समझ सके,
बना तुझे एैसा सवाल दूँ,
सारा जहाँ भी न कर सके बराबरी,
अँकुश का इतना तुझे प्यार दूँ ||

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