Friday, September 28, 2007

रामकी sir के लिए

जा रहे हो आप हमसे दूर कहीँ
पर यादों के लिए ये फासले बड़े नहीं

जो साथ हमने बिताये हैं ,
वो हर एक पल , एक खज़ाना होगा
दीदार आपका रोज़ हो ना पायेगा
पर यादों में मिलना , रोज़ाना होगा

आपकी दोस्ती , भाभी का प्यार ;
सब miss ये करेंगे
करते थे जो भोली -भाली बातें हम Shreelaya से ,
अब किससे करेंगे ?

TDC(-ALL?) की चहक आप को वहाँ भी सुनाई देगी ,
cricket-ground की खुशबू भी साँसों में बसाई होगी
भला कौन भूल पायेगा , “दो दोस्तों ” की कहानी
मिसाल होगी , रामकी Sir की जवानी

होली में हमारी बातों के रंग भर लेना
जब चाहना , यादों के दीपों से दिवाली कर लेना
वैसे दूरियां तो सिर्फ geography में हैं ,
जब चाहे , एक mail या call ही कर लेना

और finally, चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना
कभी अलविदा ना कहना ,
कभी अलविदा ना कहना !!

- आपकी यादों में आपके दोस्त

No comments:

Post a Comment

Thanks for coming to my blogs. Your comments are appreciated.