हर साल सोचने के बाद भी आज तक ये नहीं समझ में आया, कि हमारे यहाँ होली पर "नाकाबन्दी" और "अपनी तो जैसे तैसे" इतना क्यों बजता है !!
इस साल भी इसी गूढ़ प्रश्न पर विचार करने हेतु, सुबह सुबह youtube पर नाकाबंदी लगा दिया , पर सवाल वहीं का वहीं है। खैर , फिर होली के ढेर सारे गाने सुने और india कि होली को miss किया । शाम को दोस्तों को invite किया था, इसलिए पकवान बनाने में तनु कि थोड़ी help kee.
रंग खेलने की बेकरारी को कुछ control करके Canada में गुझिया, समोसे, कचोरी और मालपुआ हजम किया, और मौका मिलते ही टूट पड़े अबीर-गुलाल पर। एक बार फिज़ा mein rang बिखरे नहीं कि बस, चढ़ गई फागुन की मस्ती, और भूल गए कि हम सात समुन्दर पार हैं। जी भर कर होली खेली। पहले आपस में, और फिर लोगों के घर जा जा कर उन्हें रंगा, नींद से जगा कर लोगों के साथ होली खेली, होली खेल कर नहा धो कर वापस आए लोगों के साथ फिर होली खेली :)
उसके बाद ताश और अन्ताक्षरी, प्रेमजीत के हाथों की बनी coffee और सतीश के हाथों की बनी दाल ने मज़ा दुगुना कर दिया।
लौट कर जब रात के एक बजे स्नान किया, to laga ki apnee to HO LI
Canada की सर्दी में, minus 13 temperature में गरमा गरम पानी से रंग छुडाने का भी ultimate मज़ा है। बस अपने दिल को समझाना पड़ता है कि, "भाई , बुरा न मानो -
होली है !! "
(check the pics at my album at www.freewebs.com/ankushag or at my orkut profile.)
हिम्मत वाले जीव हैं। इतनी ठंड के बावजूद भी होली।
ReplyDeleteस्वागत है हिन्दी चिट्ठाजगत में हिन्दी में और भी लिखिये।
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